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सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (1896-1961) हिंदी साहित्य के प्रमुख छायावादी कवि, कथाकार और निबंधकार थे। वे हिंदी कविता में स्वतंत्रता, विद्रोह, मानवीय संवेदना और नवाचार के प्रणेता माने जाते हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ-

काव्य-ग्रंथ अनामिका, परिमल, अर्चना, राम की शक्ति-पूजा

उपन्यास: अपूर्वा, अलका

कथा रचनाएँ: चतुरी चमार, सुकुल की बीवी आदि

निराला की भाषा में क्रांतिकारिता, करुणा और सौंदर्य चेतना का अ‌द्भुत संतुलन है। उन्होंने परंपरागत काव्य-शैली को तोड़‌कर हिंदी कविता को नई दिशा दी, इसलिए उन्हें हिंदी काव्य जगत का महाप्राण कहा गया। उनका साहित्य आज भी पाठकों को नैतिक शक्ति, आत्मसम्मान, स्वतंत्र विचार और मानवीयता की प्रेरणा देता है।

कुल्ली भाट

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