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लेखक परिचय: लेखक पारस जायसवाल फिल्म इंडस्ट्री में पिछले 32 सालों से लिख रहे हैं । जिन्होंने 84 से ज्यादा प्रोजेक्ट लिखे हैं, जिनमे फिल्में, धारावाहिक और वेब सीरीज शामिल है । 350 से ज्यादा कहानियाँ ऑन स्क्रीन हैं, 5000 से ज्यादा एपीसोड़स लिखे हैं जो एक रिकॉर्ड है कि इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में इनसे ज्यादा लिखने वाला कोई नहीं हुआ । इन्होंने अनेक भाषाओं के धारावाहिक लिखे, जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, अवधी शामिल हैं । पेश है, इनकी लिखी फिल्मों और धारावाहिक के कुछ शीर्षक, जिन्हें आपने भी जरूर देखा होगा ।

फिल्में: कुछ तो गड़बड़ है, दोष, मंगलसूत्र, धरतीपुत्र, दामादजी, सांवरिया मोहे रंग दे, एक नहीं दो दो, भाग्य ना जाने कोय, कब होई मिलनवा हमार, फिरंगी दुल्हनिया । 

धारावाहिक: कॉर्पोरेट सरपंच, मंजिलें हमसे हैं, बंधन कच्चे धागे का, तोरा मन दर्पण कहलाये, जिंदगी एक भंवर, उम्मीद नई सुबह की, दर्द का रिश्ता, बेटी का फ़र्ज़, लकीरें किस्मत की, गौरी तेरा गांव बड़ा प्यारा, मंगलसूत्र, शमा, इम्तेहान, कुल की ज्योति कन्या, कहीं देर ना हो जाएं, मुआवज़ा, हम तुमको ना भूल पाएंगे, वारिस, नैन्सी, कसक, ये दिल-ए-नादां, एहसास कहानी एक घर की, कशमकश, करम धरम अपना अपना, सपने साजन के, नरगिस, जाएं कहाँ, अर्धांगिनी, दस्तूर जिंदगी का, ना तुम जानो ना हम, अग्निपथ, दुर्गा, जज़्बात, ये दिल के रिश्ते, चीख़ एक ख़ौफ़नाक सच, अतरंगी हॉरर, ख़ौफ़, सिद्धि, खाकी एक वचन, क्राइम एलर्ट, क्राइम वर्ल्ड, क्राइम टाइम, हॉट स्पॉट साइबर क्राइम, जघन्य, सुराग, सबूत, मुजरिम कौन, वो कौन, राज़ द थ्रिलर, बात एक रात की, जैकी जासूस, तीसरा डोला, डिटेक्टिव करन, कब क्यों और कहाँ, लेकिन वो सच था, मेरा दोस्त, बाप बोले तो आप, पलटन, रंग रंगीले छैल छबीले, मैं अनाड़ी तू अनाड़ी, क्योंकि अभी तो मैं मरा नहीं, सास पे सवा सास, अंधा कानून, फ़रार कौन, क्राइम एण्ड पनिशमेंट।

भारतीय संप्रदाय बनाम शाकाहार व मांसाहार

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