भगवान महादेव ने अपने मन में श्रीराम के दिव्य चरित्र और लीलाओं को रखा और उनका गहन चिंतन किया। जब सही अबसर आया, तो उन्होंने माता पार्वती से जीराम की इस महान कथा को प्रेमपूर्वक साड़ा किया। इसीलिए इस पवित्र ग्रंখ का नाम 'श्रीरामचरितमानस' रखा गया, क्योंकि इसमें भगवान श्रीराम के अद्वितीय गुणों और लीलाओं का सुंदर और विस्तृत वर्णन है। श्रीरामचरितमानस प्रश्नोत्तरी-मंजूषा एक शोधपरक पुस्तक है, जिसमें श्रीरामचरितमानस पर आधारित प्रश्नों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। सात सोपानों में प्रत्येक कांड को महराई से समझने के लिए प्रश्नोत्तरी दी गई है। इस पुस्तिका के प्रारंभ में गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन, उनको रचनाओं और उनके साहित्यिक योगदान पर प्रश्नों का संग्रह दिया गया हैं। यह पुस्तिका शोधार्थियों, विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं। पुस्तिका में दिए गए प्रश्न-उत्तर न केवल श्री रामचरितमानस के गृह आअर्थों को सरलता से समवाने में सहायता करते हैं, बल्कि इसके धार्मिक और आध्यात्मिक पक्षों को भी उजागर करते हैं। इसे पढ़ने से पाठक न केवल श्रीरामचरितमानस की कथा को गहराई से समझ पाएंगे, बल्कि इसके वार्शनिक और नैतिक मूल्यों को भी आत्मसात कर सकेंगे। यह पुस्तिका शैक्षणिक संस्थानों, पुस्तकालयों और धार्मिक-अध्यात्मिक संस्थानों के लिए भी अत्यंत मूल्यचान है, जहाँ श्रीरामचरितमानस का अध्ययन और शोध किया जाता है।
श्रीरामचरितमानस प्रश्नोत्तरी मंजूषा
डॉ. नरेन्द्र कुमार मेहता, प्रो. नवीन कुमार मेहता