डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय जन्मः ४ मार्च १६४२, शिक्षाः एम.एसी. (लखनऊ विश्वविद्यालय), पीएच.डी. (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-वाराणसी), नोराड (नारवे) एवं अलेक्जेण्डर-फान-हमवोल्ट-फेलो (जरमीन), पूर्व प्रोफेसर कैंसर शोथ, तबरीज़ विश्वविद्यालय, ईरान। अखिल भारतीय स्तर के प्रतिष्ठित पत्रों एवं पत्रिकाओं में अनेकों विज्ञान कथाएँ प्रकाशित तथा कुछ हिब्रू, बंगला में अनुवादित, प्रकाशन/प्रसारणः विज्ञान कथा संग्रह-वैज्ञानिक लघु कथाएँ (१९८६), आधुनिक विज्ञान कथाएँ (१६६१), सूर्यग्रहण (२००४), आधुनिक ययाति (२००४), वे चन्द्रमा से आये (२००५), वैज्ञानिक पुरा कथाएँ (२००६), उत्तरी आकाशगंगा में (२०१२), एक और शिखण्डी (२०१२), खाँसी (२०१२), इक्कीसवीं शती में अंधविश्वासों का चक्रव्यूह (२०१२), आधी रात का सूर्य (२०१३), रोमांचक विज्ञान कथाएँ (२०१६), चर्चित विज्ञान-कथाएँ (२०२०), संचार माध्यमों के लिए विज्ञान कथा (संपादन २०००), प्रेमघन की वंश परम्परा (२००२), प्रेमघन-ग्रन्थावली (आठ खण्डों में, २०१४), उपाध्याय चौधरी बदरी नारायण प्रेमघन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व (२०२१), वैदिक पणिजन एवं उनके ऐतिहासिक प्रारूप फोनीशियन (२०२१), प्राचीन तुर्की अनातोलिया के वैदिक हित्ती शासक (२०२१), प्रसारण माध्यमों के लिए विज्ञान गल्प-आकाशवाणी (संपादन २००२), टेलीविजन (संपादन २००२), लोकप्रिय विज्ञान लेखन एवं विज्ञान पत्रकारिताः अभिमत (२००५), नवसृजन (२००५), एक सौ से अधिक कैंसर संबंधित शोध-पत्र और कुछ विज्ञान कथाएँ आकाशवाणी से प्रसारित, पुरस्कार/सम्मान : ईरान का कैंसर शोथ पुरस्कार (१६७८), अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट के रिसर्च बोर्ड का सम्मान (१६६१), विज्ञान-वाचस्पति मानद उपाधि (१६६६), विज्ञान-कथा-भूषण सम्मान (२००१), पश्री सोहनलाल द्विवेदी जन्मशती हिन्दी-सेवी सम्मान (२००५), अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार रजत अलंकरण (२००६), साहित्य दिवाकर (२००७), सम्पादक सरताज (२००७), भारत गौरव (२००७), सम्पादकश्री (२००८), शान्तिराज हिन्दी गौरव अलंकरण (२००८), सम्पादक सिद्धहस्त (२००८), सम्पादक शिरोमणि (२०११), विज्ञान परिषद् प्रयाग सम्मान (२०१३), गणेशदत्त सारस्वत सम्मान (२०१३), विज्ञान परिषद् प्रयाग सारस्वत-सम्मान (२०१५) आदि। सम्प्रति स्वतंत्र रूप से विज्ञान कथा लेखन।
नार्वे की परी कथाएँ
Dr. Rajeev Ranjan Upadhyay