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कोरीना के समय में जैसे अनेक लोगों की जान चल गई हो। अनगिनत लागी का जीवन अस्त- ध्वस्त भी हो गया। रोजगार बंद हुए, नौकरियाँ चली गई लोग बीमार होने लगे और बहुत बुरा हुआ। लेकिन इसी समन में देश के अन लोगों ने अपने फ्रातल समय का उयोग करके अपनी जिंदगी को एक न साड़ भी दिया और कई लोग अपने लक्ष को सिद्ध करने में कामयाब भी हुए। स्वाति गोयल, एक ऐसा ही नाम है जिनका काथ राम्रह 'जीवन बारा आज आपके हाथ में है। स्वाति वैसे तो वाणिज्य की शिक्षार्थी है और वम कॉम एवं कुछ साहित्यिक सर्जन की परिस्थिति भी आम थी। की पढ़ाई की है। विद्यार्थी अवस्था से ही स्वाति को लेकिन पढ़ाई के वो विपरीत था एवं सामाजिक स्वाति वैसे तो एक अब बेटी एक अच्छी पत्नी एक अचड़ी माँ है, लेकिन अपने जिम्मेदारी निभाते हुए, समाज और राष्ट्र सेवा में भी अपना समय व्यतीत करती है। राष्ट्रीय सेचिकर समिति अस्ति विश्व संस्कार समरसता मंच जैसे कई संस्थानों से जुडकर या अपनी सेाकप्रति करती रही है। कीरीना के उद-दो साल का समय ऐसा था कि लोग घर में रहते थे बाहर जाना असंभव था। इसी समय में स्वाति ने अपनी पुरानी पसंद को मन में लिया और ठान लिया कि, भाते ही पहले में यह काम नहीं कर सकी लेकिन अभी यह योग्य समय है और स्वाति ने अपनी कविता लेखनका कार्य शुक्ति अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता? स्वाति यही बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। स्वाति ने दो साल में 100 से ज्यादा कचिताएँ एवं 100 से मन-बुद्धि का अपनी पसंद के लिए मुक्तक लिखने का कार्य किया और अपने उपयोग करके अपनी तमन्ना को पूरा किया। सालो से दबे हुए अपने विचारी को वाचा दी। जीवन पारा' इसी विचार के कुछ अंश है, जो आज एक काम संग्रह के रूप में हमने सामने है। एक गृह लक्ष्मी से समाज सेविका और अब कवयित्री तक का कठिन सफर उनोंनि आसानी से सम्पन्न किया।

जीवन-धारा काव्य संग्रह

SKU: 9789393285850
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  • Swati Goyal

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