'कामायनी' जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक महाकाव्य है, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं और भावनात्मक विकास की गहन समझ को दर्शाता है। यह काव्य श्रद्धा, इड़ा और मनु जैसे पात्रों के माध्यम से मनुष्य की आंतरिक यात्रा को प्रस्तुत करता है। इसमें मानवीय भावनाओं, विचारों और संघर्षों का चित्रण अद्वितीय है। 'कामायनी' भारतीय साहित्य में एक मील का पत्थर मानी जाती है और यह हिंदी साहित्य के छायावाद युग की एक महत्वपूर्ण रचना है। यह काव्य भारतीय दर्शन और संस्कृति की गहनता को भी उजागर करता है।
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि, नाटककार और उपन्यासकार थे। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी। उनकी प्रमुख कृतियों में 'कामायनी', 'आँसू', 'कंकाल' और 'तितली' शामिल हैं। प्रसाद की रचनाएँ गहरी भावनाओं और भारतीय संस्कृति से प्रेरित हैं। उन्होंने साहित्य में छायावाद को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई हैं और हिंदी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है।
कामायनी
Jai Shankar Prasad